Saturday 16 September 2017

कुछ शेर

हो सके तो रोक दो सांसें मेरी.... दिल जो धङकेगा____तो फिर याद तो तुम्हीं आओगे...!

ना जाने क्यों मुझे लोग मतलबी कह गए... इक तेरे सिवा दुनिया से मतलब नही मुझे....!

मैं कोई अख़बार नहीं जो हर रोज नयी कहानियां ओर किस्से तलाशते रहते हो मुझमें.....

कहाँ मिलता है कभी कोई समझने वाला..,, जो भी मिलता है समझा के चला जाता है...!

तस्वीर के रंग चाहे जो भी हो„„„ मुस्कुराहट का रंग हमेशा ख़ूबसूरत ही होता है...! ..

सुनो एक बात बताओ___ हमेशा से ऐसे थे या अब हो गये हो_______?

खुल सकती हैं गांठें बस ज़रा से जतन से मगर„„ लोग कैंचियां चला कर,सारा फ़साना बदल देते हैं.……!

तुम कुछ नही हो मेरे....! मगर फिर भी ऐसा क्यों लगता है,कि तुम ही सब-कुछ हो मेरे...! ...

यूं तो गलत नही होते अंदाज चेहरे के, , , लेकिन लोग वैसे भी नही होते जैसे नजर आते हैं...! ..

गहरा दर्द छुपा होता है उनके दिल में अक्सर, .....जो लोग अमूमन हर बात में मुस्कुरा देते हैं.....! . . .