Wednesday 23 November 2016

हकीकत

तजुर्बे ने हमको
इतना तो सिखाया है

जो लगता तो है अपना
पर हकीकत में वो पराया है

आदाब

मैं तो छोटा हूँ झुका दूँगा कभी भी अपना सर

सब बड़े ये तय तो कर लें कौन है सब से बड़ा

        आदाब जी

इंतजार

इंतजार किया है तेरा इतना वहाँ की,
अब आने जाने वाले वाले हर शख्स की आहटे पहचानता हूँ !! ❣

Monday 21 November 2016

Hum bhi kya shakhs hain

Kabhi is topi aur kabhi us pagdi me aatye hain

Hum bhi kya shakhs hain ,har dharm me samatey hain.

Baat alag hai, logo ko pasand nahi hai ye aata

Mai unka bhi khayal rakh leta gar kaam chal jata.

Mushkil unki hai unka bhi dharm manta hoon mai.
Kafir kaise kahain mujhko, jamini haqiqat janta hoon mai.
 
Har jeet ki ladai me to keval janver shamil hain

Sirf insaniat ki bhasha meri kul tamil hai.
               

Monday 7 November 2016

खुदग़रज़

रोज़ याद न कर पाऊँ तो खुदग़रज़ ना समझ लेना दोस्तों

दरअसल छोटी सी इस उम्र मैं परेशानियां बहुत हैं..!!

मैं भूला नहीं हूँ किसी को...
मेरे बहुत अच्छे दोस्त है ज़माने में ..

बस थोड़ी जिंदगी उलझी पड़ी है ..
2 वक़्त की रोटी कमाने में।. . .
.

Saturday 5 November 2016

हक़दार

अभी तक समझ नहीं पाये तेरे इन फैसलो
को ऐ खुदा..!
.
उसके हक़दार हम नहीं...
या....
हमारी दुआओ में दम नहीं.

रिश्तों से बड़ी चाहत क्या होगी,
दोस्ती से बड़ी इबादत क्या होगी,
जिसे दोस्त मिल सके कोई आप जैसा,
उसे ज़िंदगी से कोई और शिकायत क्या
होगी।

रिश्ते

मैं लोगों से मुलाकातों के लम्हे याद रखता हूँ
मैं बातें भूल भी जाऊं तो लहजे याद रखता हूँ
सर-ए-महफ़िल निगाहें   मुझ पे जिन लोगों की पड़ती हैं
निगाहों के हवाले से वो चेहरे याद रखता हूँ
ज़रा सा हट के चलता हूँ ज़माने की रवायत से
कि जिन पे बोझ मैं डालू वो कंधे याद रखता हूँ
दोस्ती जिस से कि उसे निभाऊंगा जी जान से
मैं दोस्ती के हवाले से रिश्ते याद रखता हूँ

Friday 4 November 2016

ज़मीं

आसमां में मत दूंढ अपने सपनों को,
सपनों के लिए ज़मीं भी जरूरी है,
सब कुछ मिल जाए तो जीने का क्या मज़ा,
जीने के लिये एक कमी भी जरूरी है..

ग़म

मैंने दरवाज़े पे भी ताला लगा कर देखा लिया...पर ग़म फिर भी समझ जाते है कि मैं घर में ही हूँ...!!

साहिल

साहिल पे बैठे यूँ सोचते हैं आज
कौन ज्यादा मजबूर है

ये किनारा जो चल नहीं सकता
या वो लहर जो ठहर नहीं सकती.....!!

Wednesday 2 November 2016

इश्तेहार

रोनकें कहां दिखाई देती है अब पहले जेसी ...!!

अखबारों के इश्तेहार बताते हैं .. कोई त्यौहार आया है।..!!

गुलफाम

गुल  ने  गुलशन  से  गुलफाम  भेजा  हैं,
सितारों  ने  गगन  से  सलाम  भेजा  हैं,
मुबारक  हो  आपको  यह  दिवाली
हमने  तहे  दिल  से  ये  पैगाम  भेजा  है.