हिंदी उर्दू शायरी कविताएं गम प्रेम बिरह के नग्मे शेरकवि
मैंने दरवाज़े पे भी ताला लगा कर देखा लिया...पर ग़म फिर भी समझ जाते है कि मैं घर में ही हूँ...!!
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