हिंदी उर्दू शायरी कविताएं गम प्रेम बिरह के नग्मे शेरकवि
साहिल पे बैठे यूँ सोचते हैं आज कौन ज्यादा मजबूर है
ये किनारा जो चल नहीं सकता या वो लहर जो ठहर नहीं सकती.....!!
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