Saturday 5 November 2016

हक़दार

अभी तक समझ नहीं पाये तेरे इन फैसलो
को ऐ खुदा..!
.
उसके हक़दार हम नहीं...
या....
हमारी दुआओ में दम नहीं.

रिश्तों से बड़ी चाहत क्या होगी,
दोस्ती से बड़ी इबादत क्या होगी,
जिसे दोस्त मिल सके कोई आप जैसा,
उसे ज़िंदगी से कोई और शिकायत क्या
होगी।

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