हिंदी उर्दू शायरी कविताएं गम प्रेम बिरह के नग्मे शेरकवि
खूब करता है, वो मेरे ज़ख्म का
इलाज..
कुरेद कर देख लेता है रोज,और
कहता है वक्त लगेगा..
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