हिंदी उर्दू शायरी कविताएं गम प्रेम बिरह के नग्मे शेरकवि
*वो मोहब्बत भी तेरी थी वो_* *_नफरत भी तेरी थी_*
*_वो अपनापन और ठुकराने_* *_की अदा भी तेरी थी_*
*_हम अपनी वफ़ा का इंसाफ_* *_किससे मांगते_*
*_वो शहर भी तेरा था और_* *_अदालत भी तेरी थी_*
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