Wednesday 12 October 2016

तजुर्बे

तजुर्बे ने शेरों को खामोश रहना सिखाया;
क्योंकि दहाड़ कर शिकार नहीं किया जाता;
कुत्ते भौंकते हैं अपने जिंदा होने का एहसास दिलाने के लिए;
मगऱ जंगल का सन्नाटा शेर की मौजूदगी बयाँ करता है।

इशारा

दोस्त को दोस्त का इशारा याद रहेता हे ,
हर दोस्त को अपना दोस्ताना याद रहेता हे ,
कुछ पल सच्चे दोस्त के साथ तो गुजारो,
वो अफ़साना मौत तक याद रहेता हे|

तिनका तिनका

मंजिल यू ही नहीं मिलती राही को

जुनून सा दिल में जगाना पड़ता है।

पूछा चिड़िया को की घोंसला कैसे बनता है।

वो बोली, तिनका तिनका उठाना पड़ता ।।

सुप्रभात

Friday 7 October 2016

झूठ

कर दो  तब्दील  अदालतों  को मयखानों  में  साहब......

सुना  है  नशे  में  कोई  झूठ  नहीं
बोलता

Thursday 29 September 2016

मुसीबत

मुसीबत में अगर मदद मांगो तो सोच कर मागना क्योकि मुसीबत थोड़ी देर की होती है और एहसान जिंदगी भर का.....

मशवरा तो खूब देते हो
"खुश रहा करो" कभी कभी वजह भी दे दिया करो...

कल एक इन्सान रोटी मांगकर ले गया और करोड़ों कि दुआयें दे गया, पता ही नहीँ चला की, गरीब वो था की मैं....

गठरी बाँध बैठा है अनाड़ी
साथ जो ले जाना था वो कमाया ही नहीं

मैं उस किस्मत का सबसे पसंदीदा खिलौना हूँ, वो रोज़ जोड़ती है मुझे फिर से तोड़ने के लिए....

जिस घाव से खून नहीं निकलता, समझ लेना वो ज़ख्म किसी अपने ने ही दिया है..

बचपन भी कमाल का था
खेलते खेलते चाहें छत पर सोयें या ज़मीन पर, आँख बिस्तर पर ही खुलती थी...

अहंकार दिखा के किसी रिश्ते को तोड़ने से अच्छा है की,माफ़ी मांगकर वो रिश्ता निभाया जाये....

जिन्दगी तेरी भी, अजब परिभाषा है..सँवर गई तो जन्नत, नहीं तो सिर्फ तमाशा है...

खुशीयाँ तकदीर में होनी चाहिये, तस्वीर मे तो हर कोई मुस्कुराता है...

ज़िंदगी भी विडियो गेम सी हो गयी है  एक लैवल क्रॉस करो तो अगला लैवल और मुश्किल आ जाता हैं.....

इतनी चाहत तो लाखो
रु पाने की भी नही होती, जितनी बचपन की तस्वीर देखकर बचपन में जाने की होती है.......

हमेशा छोटी छोटी गलतियों से बचने की कोशिश किया करो , क्योंकि इन्सान पहाड़ो से नहीं पत्थरों से ठोकर खाता है ..

गँवाना

*"रिश्तों" की कदर भी "पैसों" की तरह ही करनी चाहिए*
           *क्यों कि...*
*दोनों को कमाना मुश्किल है पर गँवाना आसान* !!

मोहब्बत

मोहब्बत के हर रास्ते में दर्द
ही दर्द मिलेगा

मैं सोच रहा हु उस रास्ते पर
मेडिकल खोल लू..

मस्त चलेगा.

मयख़ाने

जवानी हुस्न मयख़ाने लबौ रूख़सार बिकते हैं
हया के आईने भी अब सरे बाज़ार बिकते हैं...

शराफत ज़र्फ हमदर्दी दिलों से हो गयी रुख़सत
जहां दौलत चमकती है वहीं किरदार बिकते हैं...

वहां हथियार बिकने का अजब दस्तूर निकला है
हमारे गांव में अब तक गुलों के हार बिकते हैं...

हमारे रहनुमाओं को हुआ क्या है ख़ुदा जाने
कभी इस पार बिकते हैं कभी उस पार बिकते हैं...

ज़रा खुद सोचिए हम पर तबाही क्यूं ना आएगी
यह दौर ऐसा है जिसमें कौम के किरदार बिकते हैं...