Saturday 21 January 2017

अर्ज किया है

अर्ज किया है

कोई वादा ना कर, कोई इरादा ना कर,
काम कर कर के, खुद को आधा ना कर,

वो देगा तुझे उतना ही.... जितना तेरा बेसिक पे है....!
अपने डिपार्टमेंट से उम्मीद, ज्यादा ना कर...!

----सभी सरकारी कर्मचारी को समर्पित..

Thursday 12 January 2017

दर्द कागज़ पर

दर्द कागज़ पर मेरा बिकता रहा
मैं बैचैन था रातभर लिखता रहा !!

छू रहे थे सब बुलंदियाँ आसमान की
मैं सितारों के बीच, चाँद की तरह छिपता रहा !!

दरख़्त होता तो, कब का टूट गया होता
मैं था नाज़ुक डाली, जो सबके आगे झुकता रहा !!

बदले यहाँ लोगों ने, रंग अपने-अपने ढंग से
रंग मेरा भी निखरा पर, मैं मेहँदी की तरह पीसता रहा !!

जिनको जल्दी थी, वो बढ़ चले मंज़िल की ओर
मैं समन्दर से राज गहराई के सीखता रहा !

Monday 9 January 2017

मैं औऱ मेरी तनहाई


मैं औऱ मेरी तनहाई
अक्सर ये बाते करते है।
ज्यादा पीऊं या कम,
व्हिस्की पीऊं या रम।
या फिर तोबा कर लूं,
कुछ तो अच्छा कर लूं।
हर सुबह तोबा हो जाती है,
शाम होते होते फिर याद आती है।
क्या रखा है जीने में,
असल मजा है पीने में।
फिर ढक्कन खुल जाता है,
फिर नामुराद जिंदगी का मजा आता है।
रात गहराती है,
मस्ती आती है।
कुछ पीता हूं,
कुछ छलकाता हूं।
कई बार पीते पीते,
लुढ़क जाता हूं।
फिर वही सुबह,
फिर वही सोच।
क्या रखा है पीने में,
ये जीना भी है कोई जीने में!
सुबह कुछ औऱ,
शाम को कुछ औऱ।

थोड़ा गम मिला तो घबरा के पी गए,
थोड़ी ख़ुशी मिली तो मिला के पी गए,
यूँ तो हमें न थी ये पीने की आदत...
शराब को तनहा देखा तो तरस खा के पी गए।

Sunday 8 January 2017

आँखे


आँखे' कितनी  अजीब  होती  है, 
जब  उठती  है  तो  दुआ  बन  जाती  है,
जब  झुकती  है  तो  हया  बन  जाती  है,
उठ  के  झुकती  है  तो अदा  बन  जाती  है
झुक  के उठती  है  तो खता  बन  जाती है,
जब  खुलती  है  तो दुनिया  इसे  रुलाती  है,
जब  बंद  होती  है  तो  दुनिया  को  ये  रुलाती है...!!

"हर रिश्ते में विश्वास रहने दो;
जुबान पर हर वक़्त मिठास रहने दो;
यही तो अंदाज़ है जिंदगी जीने का;
न खुद रहो उदास, न दूसरों को रहने दो..!"

Saturday 7 January 2017

दुनिया

बना बना के जो दुनिया बनाई जाती है
एक कमी है जो हम सब में पाई जाती है
जब भी कोई आता है उनकी महफ़िल में
एक शम फ़ौरन उसी दम जलाई जाती है
जला के शम वो फ़ौरन बुझा भी देते है
फिर धुंए की तरफ अंगुली उठाई जाती है
कहते है फिर वो हर आने जाने वाले से
के आशिको की यही हालत बनाई जाती है

कुमार विश्वास

बस्ती बस्ती घोर उदासी
पर्वत पर्वत खालीपन
मन हीरा बेमोल लूट गया
घिस घिस री का तन चन्दन
इस धरती से उस अम्बर तक
दो ही चीज गजब की है
एक तो तेरा भोलापन है
एक तेरा दीवानापन
-कुमार विश्वास

Wednesday 4 January 2017

Best shayari and sher

किनारे पर तैरने वाली लाश को देखकर ये समझ आया ..
..बोझ शरीर का नही साँसों का था..

सर झुकाने से नमाज़ें अदा नहीं होती...!!!
दिल झुकाना पड़ता है इबादत के लिए...

पहले मैं होशियार था,
इसलिए दुनिया बदलने चला था,
आज मैं समझदार हूँ,
इसलिए खुद को बदल रहा हूँ.

बैठ जाता हूं मिट्टी पे अक्सर...
क्योंकि मुझे अपनी औकात अच्छी लगती है.

मैंने समंदर से सीखा है जीने का सलीक़ा,
चुपचाप से बहना और अपनी मौज में रहना.

नज़र और नसीब का कुछ ऐसा इत्तेफाक हैं कि नज़र को अक्सर वही चीज़ पसंद आती हैं; जो नसीब में नहीं होती:! और नसीब में लिखी चीज़ अक्सर नज़र नहीं:!!

मैंने एक दिन खुदा से पुछा: आप मेरी दुआ उसी वक्त क्यों नहीं सुनते; जब मैं आपसे मांगता हूँ? खुदा ने मुस्कुरा कर कहा: मैं तो तेरे गुनाहों की सजा भी उस वक्त नहीं देता जब तू करता हैँ:!!

किस्मत पहले ही लिखी जा चुकी है; तो कोशिश करने से क्या मिलेगा? क्या पता किस्मत में लिखा हो कि कोशिश से ही मिलेगा:!!

ज़िन्दगी में कुछ खोना पड़े तो यह दो लाइन याद रखना: 'जो खोया है उसका ग़म नहीं लेकिन जो पाया है वो किसी से कम नहीं:!' 'जो नहीं है वो एक खवाब हैं; और जो है वो लाजवाब है:!!'

इन्सान केहता है कि पैसा आये तो मैं कुछ करके दिखाऊ; और पैसा केहता हैं कि तू कुछ करके दिखाए तो मैं आऊ:!

बोलने से पेहले लफ्ज़ आदमी के गुलाम होते हैं; लेकिन बोलने के बाद इंसान अपने लफ़्ज़ों का गुलाम बन जाता हैँ:!!

ज्यादा बोझ लेकर चलने वाले अक्सर डूब जाते हैं; फिर चाहे वो अभिमान का हो; या सामान का:!!

जिन्दगी जख्मो से भरी हैं; वक़्त को मरहम बनाना सिख लें; हारना तो है मोतके सामने; फ़िलहाल जिन्दगी से जीना सिख लें:!!

घर

कुछ लोग कहते हैं औरत का कोई घर नहीं होता ..
लेकिन मेरा यकीन है कि औरत के बिना कोई घर.....
घर नहीं होता...

फितरत

रिश्ते तोड़ देना हमारी फितरत में नहीं,
हम तो बदनाम है, रिश्ते निभाने के लिए !

अक्सर

रुलाने में अक्सर उन्ही का हाथ होता है..
जो कहते है कि तुम हँसते हुए बहुत अच्छे लगते हो...!!