हिंदी उर्दू शायरी कविताएं गम प्रेम बिरह के नग्मे शेरकवि
हर शख्स परिंदों का हमदर्द नहीं होता दोस्त;
बहुत बैठे हैं दुनिया में, जाल बिछाने वाले..!
No comments:
Post a Comment