Wednesday 9 August 2017

चेहरों के लिये आईने कुर्बान

"चेहरों के लिये आईने कुर्बान किए हैं
इस शौक़ में अपने कई नुकसान किए हैं...

महफ़िल में मुझे गालियाँ देकर बहुत ख़ुश है
जिस शख़्स पे मैंने कई एहसान किए हैं...

ख़्वाबों से निपटना है मुझे रतजगे करके
कमबख़्त कई दिन से परेशान किए हैं...

रिश्तों के, मरासिम के, मुहब्बत के, वफा के
कुछ शहर तो ख़ुद हमने ही वीरान किए हैं...

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