हिंदी उर्दू शायरी कविताएं गम प्रेम बिरह के नग्मे शेरकवि
*खैरीयत पूछने का ज़माना गया साहब*
*आदमी ऑनलाइन दिख जाये*
*तो समझ लेना सब ठीक हैं ।*
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