मुस्कुराने से शुरू और रुलाने पे खतम...।
ये वो जुल्म हैं जिसे लोग मोहब्बत कहते हैं...
मुस्कुराने से शुरू और रुलाने पे खतम...।
ये वो जुल्म हैं जिसे लोग मोहब्बत कहते हैं...
विरासत के दौलतमंद क्या जाने मेहनत का नशा...
जिंदगी वो नहीं, जो अपने पुरखो पे जी जाएँ...!!!
अर्ज़ किया हैं
खिड़की खुलीं जूल्फे गिरी
सामने हुस्न का दीदार था
वाह वाह फिर क्या...
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फिर क्या जूल्फ़े हटी क़िस्मत फूटी
वो नहाया हुआ सरदार था??
नया देशभक्ति गीत
हम लाए हैं,एटीएम से नगदी निकाल के
इस कैश को खर्चो जरा बेगम सम्भाल के..
कटता नहीं है दिन मेरा इस दो ह़जार में
कब तक मिलेगी पान-ओ- बीड़ी उधार में
बुलबुल को बैंक से है न मोदी से है गिला
किस्मत में कैद थी लिखी फ़स्ले बहार में
कह दो इन शादियों से अभी और कुछ टलें
कितना हम बांटे न्योता अब दो हज़ार में
इक शाख़-ए-गुल पे बैठ के जेटली है शादमां
कांटे बिछा दिए हैं दिल-ए-लालाज़ार में
बैंक से हम आज जुगाड़ के लाये थे चार नोट
दो बीवी ने झटक लिए, दो गए उधार में
दिन आज का भी ख़त्म हुआ शाम हो गई
सोऊंगा आज रात भी मैं बैंक की कतार में
कितना है बदनसीब "ज़फ़र" नोट के लिये
पीटा है ATM गार्ड ने, कू-ए-यार में
पानी से तस्वीर
कहाँ बनती है,
ख्वाबों से तकदीर
कहाँ बनती है,
किसी भी रिश्ते को
सच्चे दिल से निभाओ,
ये जिंदगी फिर
वापस कहाँ मिलती है
कौन किस से
चाहकर दूर होता है,
हर कोई अपने
हालातों से मजबूर होता है,
हम तो बस
इतना जानते हैं...
हर रिश्ता "मोती" और
हर दोस्त "कोहिनूर" होता है।।।
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और इसलिए कहते है...
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कोई टूटे तो उसे सजाना सीखो,
कोई रुठे तो उसे मनाना सीखो ...
रिश्ते तो मिलते है मुकद्दर से,
बस उन्हे खूबसूरती से निभाना सीखों।
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जन्म लिया है तो सिर्फ साँसे⚡ मत लीजिये,
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जीने का शौक भी रखिये..
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शमशान ऐसे लोगो की राख से...भरा पड़ा है
जो समझते थे,,,
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दुनिया उनके बिना चल नहीं सकती.
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हाथ में टच फ़ोन,
बस स्टेटस के लिये अच्छा है…
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सबके टच में रहो,
जींदगी के लिये ज्यादा अच्छा है…
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ज़िन्दगी में ना ज़ाने कौनसी बात "आख़री" होगी!
ना ज़ाने कौनसी रात "आख़री" होगी ।
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मिलते, जुलते, बातें करते रहो यार एक दूसरे से,
ना जाने कौनसी "मुलाक़ात" आख़री होगी...
गुजर जायेंगे हम यूँ ही किसी लम्हे की तरह...
और तुम यूँ ही.....वक़्त से उलझे रहना....!!
तेरे दीदार का नशा भी बडा अजीब है तु ना दिखे तो
दिल तडपता है तू दिखे तो नशा और चढता है यार
तजुर्बे ने हमको
इतना तो सिखाया है
जो लगता तो है अपना
पर हकीकत में वो पराया है
मैं तो छोटा हूँ झुका दूँगा कभी भी अपना सर
सब बड़े ये तय तो कर लें कौन है सब से बड़ा
आदाब जी