हिंदी उर्दू शायरी कविताएं गम प्रेम बिरह के नग्मे शेरकवि
अर्ज़ किया हैं खिड़की खुलीं जूल्फे गिरी सामने हुस्न का दीदार था वाह वाह फिर क्या... . . . . . . फिर क्या जूल्फ़े हटी क़िस्मत फूटी वो नहाया हुआ सरदार था??
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