हिंदी उर्दू शायरी कविताएं गम प्रेम बिरह के नग्मे शेरकवि
Monday, 12 December 2016
नहाया हुआ सरदार
अर्ज़ किया हैं
खिड़की खुलीं जूल्फे गिरी
सामने हुस्न का दीदार था
वाह वाह फिर क्या...
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फिर क्या जूल्फ़े हटी क़िस्मत फूटी
वो नहाया हुआ सरदार था??
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