हिंदी उर्दू शायरी कविताएं गम प्रेम बिरह के नग्मे शेरकवि
गालिब फरमाते हैं,
चली जाती हैं आए दिन वो ब्यूटी पार्लर में यूं , उनका मकसद है मिसाले-हूर हो जाना।
मगर ये बात किसी बेग़म की समझ में क्यूं नहीं आती,
कि मुमकिन ही नहीं किशमिश का फिर से अंगूर हो जाना।
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