हिंदी उर्दू शायरी कविताएं गम प्रेम बिरह के नग्मे शेरकवि
मुझे भी बता दो ये चालाकी का हुनर दोस्तो...।
लोग ठग लेते है अक्सर मुझे, जरा सा मीठा बोलकर...।
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