हिंदी उर्दू शायरी कविताएं गम प्रेम बिरह के नग्मे शेरकवि
Saturday, 24 December 2016
जन्नत
....कश्मीर पर इतनी सटीक पंक्तियाँ.... दूसरी नही हो सकती....!!
"ताउम्र जन्नत में रह कर, उसे उजाड़ने में गुज़ार दी,
और जिहाद बस इस बात की थी, ... कि मरने के बाद जन्नत मिले...".........
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