हिंदी उर्दू शायरी कविताएं गम प्रेम बिरह के नग्मे शेरकवि
दबे होंठों को बनाया है सहारा अपना,... सुना है कम बोलने से बहुत कुछ सुलझ जाता है......
No comments:
Post a Comment