Wednesday 26 April 2017

बेईमान

*कमियाँ तो मुझमें भी बहुत है,*
                      *पर मैं बेईमान नहीं।*

*मैं सबको अपना मानता हूँ,*
     *सोचता हूँ फायदा या नुकसान नहीं।*

*एक शौक है शान से जीने का,*
           *कोई और मुझमें गुमान नहीं।*

*छोड़ दूँ बुरे वक़्त में अपनों का साथ,*
                  *वैसा तो मैं इंसान नहीं।*

Friday 21 April 2017

ताल्लुक़ात

I*यूँही छोटी सी बात पर*
*ताल्लुक़ात बिगड़ जाते है*

*मुद्दा होता है "सही क्या है"*
*और लोग "सही कौन" पर उलझ जाते है*

Tuesday 18 April 2017

दुपहरी

*बचपन में, भरी दुपहरी में नाप आते थे पूरा मुहल्ला,*
*जब से डिग्रियाँ समझ में आई, पाँव जलने लगे।।।।।*

Saturday 11 March 2017

मुमकिन नहीं..!

तेरी मर्जी से ढल जाऊं हर बार ये मुमकिन नहीं..!
..........मेरा भी वजूद है,मैं कोई आइना नहीं..!!

भरोसा

"प्यार"... गहरा हो या न हो...
पर "भरोसा".... "बहुत गहरा होना चाहिये"... ❤

दुआ

*दुआ का रंग नहीं होता*

*मगर ये रंग ले आती है*

हौसला

*कैसे कह दूँ कि ''थक''गया  हूँ मैं*

*अपने''परिवार''का हौसला हूँ मैं !!*

लफ्जो की दहलीज

*लफ्जो की दहलीज पर ,घायल ज़ुबान है......!!*

                                                                              *कोई तन्हाई से तो कोई, महफ़िल से परेशान है.....!!*

एहसास

*फासलों का एहसास तो तब हुआ साहब....*

*जब मैंने कहा "मैं ठीक हूँ", और उसने मान लिया....*

गलिया

*आखिर क्यों रिश्तो की गलिया इतनी तंग हैं...*

*शुरुवात कौन करे, यहीं सोच कर बात बंद है...*