हिंदी उर्दू शायरी कविताएं गम प्रेम बिरह के नग्मे शेरकवि
तेरी मर्जी से ढल जाऊं हर बार ये मुमकिन नहीं..! ..........मेरा भी वजूद है,मैं कोई आइना नहीं..!!
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