हिंदी उर्दू शायरी कविताएं गम प्रेम बिरह के नग्मे शेरकवि
तासीर ही ऐसी कि डरे नहीं शमसीर से! भिड़ पड़े निहत्थे हम जंगल में कंठीर से। संकटों को सहा देश हित में हमेशा यार, आन लिए भटके दर दर फक्र से फकीर से।।
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