हिंदी उर्दू शायरी कविताएं गम प्रेम बिरह के नग्मे शेरकवि
ऐ मेरे हमसफर इतना तो मगरूर मत हो! अपनी अदाओं पे इतना मजबूर मत हो! तरस जाए तूं कल हमारे दीदारों के लिए, इसलिए ही कहता हूं कि दिलों से दूर मत हो!!
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