हिंदी उर्दू शायरी कविताएं गम प्रेम बिरह के नग्मे शेरकवि
मेरी बात मानो तो छोड़ दो ये मोहब्बत करना, हर हकीम ने हाथ जोड़ लिये है इस मर्ज से !!
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