हिंदी उर्दू शायरी कविताएं गम प्रेम बिरह के नग्मे शेरकवि
*आखिर क्यों रिश्तो की गलिया इतनी तंग हैं...*
*शुरुवात कौन करे, यहीं सोच कर बात बंद है...*
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