हिंदी उर्दू शायरी कविताएं गम प्रेम बिरह के नग्मे शेरकवि
*हिसाब-किताब हम से न पूछ अब, ऐ-ज़िन्दगी*,
*तूने सितम नही गिने, तो हम ने भी ज़ख्म नही गिने!*
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