हिंदी उर्दू शायरी कविताएं गम प्रेम बिरह के नग्मे शेरकवि
*इल्मो अदब के सारे खजाने गुजर गए* *क्या खूब थे वो लोग पुराने गुजर गए।*
*बाकी है जमीं पे फकत आदमी की भीड़* *इन्सां को मरे हुए तो ज़माने गुजर गए...*
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