हिंदी उर्दू शायरी कविताएं गम प्रेम बिरह के नग्मे शेरकवि
ऐसा लगता है ज़िंदगी तुम हो अजनबी जैसे अजनबी तुम हो
अब कोई आरज़ू नहीं बाकी जुस्तजू मेरी आखरी तुम हो
मैं ज़मीन पर घना अंधेरा हूँ आसमानों की चाँदनी तुम हो
दोस्तों से वफ़ा की उम्मीदें किस ज़माने के आदमी तुम हो
No comments:
Post a Comment