Saturday 29 July 2017

ज़िंदगी तुम हो अजनबी

ऐसा लगता है ज़िंदगी तुम हो
अजनबी जैसे अजनबी तुम हो

अब कोई आरज़ू नहीं बाकी
जुस्तजू मेरी आखरी तुम हो

मैं ज़मीन पर घना अंधेरा हूँ
आसमानों की चाँदनी तुम हो

दोस्तों से वफ़ा की उम्मीदें
किस ज़माने के आदमी तुम हो

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