हिंदी उर्दू शायरी कविताएं गम प्रेम बिरह के नग्मे शेरकवि
*अब किसको क्या मिलेगा आइना देखकर,*
*कौन है जो नहीं जानता सूरत में छिपी सीरत अपनी!*
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