Saturday, 29 July 2017

बरसात की भीगी रातों में

बरसात की भीगी रातों में फिर रात सुहानी याद आई।
कुछ अपना जमाना याद आया कुछ उनकी जवानी याद आई।
हम भूल चुके थे जिसने हमको दुनिया में अकेला छोड़ दिया,
जब गौर किया तो इक सूरत जानी पहचानी याद आई।
सोचा था साथ चलेंगे पर वो बीच सफ़र में छोड़ गया,
फिर से जीने की आस जगी थी, सारी उम्मीदें तोड़ गया।
अपनी मजबूरी याद आई उसकी नादानी याद आई.
कुछ अपना जमाना याद आया कुछ उनकी जवानी याद आई।

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