हिंदी उर्दू शायरी कविताएं गम प्रेम बिरह के नग्मे शेरकवि
*बाँसुरी से सीख ले सबक ए* *ज़िन्दगी,*
*छेद हैं कितने सीने में फिर भी* *गुनगुनाती है।*
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