हिंदी उर्दू शायरी कविताएं गम प्रेम बिरह के नग्मे शेरकवि
*उनकी गली से गुजरा तो चौबारा नजर आया!*
*वाह !*
*वाह !* . . . *उनकी गली से गुजरा तो चौबारा नजर आया* . *उसकी माँ ने देखा तो बोली* .
*हाथ पाँव तोड दूँगी जो दुबारा यहाँ नजर आया!*
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