हिंदी उर्दू शायरी कविताएं गम प्रेम बिरह के नग्मे शेरकवि
शीशा तो टूट कर, अपनी कशिश बता देता हैं दर्द तो उस पत्थर का हैं, जो टुटने के काबिल भी नही....
No comments:
Post a Comment