Sunday 23 October 2016

ख्वाब

*जो इस दुनियाँ में नहीं मिलते , वो फिर किस दुनियाँ में मिलेंगे जनाब..*

*बस यही सोचकर रब ने एक दुनियाँ बनायी , जिसे कहते हैं ख्वाब.....✍*

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