हिंदी उर्दू शायरी कविताएं गम प्रेम बिरह के नग्मे शेरकवि
छू जाते हो मुझे कितनी दफ़े तुम यूँ ही ख़्वाब बन के।।
*कौन कहता है कि दूर रह कर मुलाक़ात नहीं होती
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