हिंदी उर्दू शायरी कविताएं गम प्रेम बिरह के नग्मे शेरकवि
*मोहब्बत देखी है मैंने जमानेभर के लोगों की, *जहाँ दाम कुछ ज्यादा हो वहाँ इंसान बिकते है !!
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