हिंदी उर्दू शायरी कविताएं गम प्रेम बिरह के नग्मे शेरकवि
*भरोसा खत्म हो जाने पे बाकी कुछ नहीं रहता*, :: :: *ये वो कागज़ है जिसकी कार्बन कॉपी नहीं होती* .....!!
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