हिंदी उर्दू शायरी कविताएं गम प्रेम बिरह के नग्मे शेरकवि
✍ *नजरें तुमको ही देखना चाहें* *तो मेरी आँखों का क्या कसूर है?*
*खुशबू तुम्हारी ही आए* *तो मेरी सांसों का क्या कसूर है?*
*वैसे तो सपने* *पूछ कर नहीं आते*
*सपने ही तुम्हारे आएं* *तो मेरी रातों का क्या कसूर है?*
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