हिंदी उर्दू शायरी कविताएं गम प्रेम बिरह के नग्मे शेरकवि
*समंदर 'बेबसी' अपनी ,* *किसी से 'कह' नहीं सकता......।*
*'हजारों' मील तक 'फैला' है,* *फिर भी 'बह' नहीं सकता.......।।*
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