हिंदी उर्दू शायरी कविताएं गम प्रेम बिरह के नग्मे शेरकवि
*हम "मेहमान" नहीं* *"रौनके" "महफिल" हैं,*
*"मुद्दतों" तक "याद" करोगे कि,* *"ज़िन्दगी" में कोई "आया" था...* ______
No comments:
Post a Comment