हिंदी उर्दू शायरी कविताएं गम प्रेम बिरह के नग्मे शेरकवि
Defines Ego so beautifully .......
बस इतनी सी बात समंदर को खल गई,
एक काग़ज़ की नाव मुझपे कैसे चल गई ....
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