Saturday, 16 September 2017

कुछ शेर

हो सके तो रोक दो सांसें मेरी.... दिल जो धङकेगा____तो फिर याद तो तुम्हीं आओगे...!

ना जाने क्यों मुझे लोग मतलबी कह गए... इक तेरे सिवा दुनिया से मतलब नही मुझे....!

मैं कोई अख़बार नहीं जो हर रोज नयी कहानियां ओर किस्से तलाशते रहते हो मुझमें.....

कहाँ मिलता है कभी कोई समझने वाला..,, जो भी मिलता है समझा के चला जाता है...!

तस्वीर के रंग चाहे जो भी हो„„„ मुस्कुराहट का रंग हमेशा ख़ूबसूरत ही होता है...! ..

सुनो एक बात बताओ___ हमेशा से ऐसे थे या अब हो गये हो_______?

खुल सकती हैं गांठें बस ज़रा से जतन से मगर„„ लोग कैंचियां चला कर,सारा फ़साना बदल देते हैं.……!

तुम कुछ नही हो मेरे....! मगर फिर भी ऐसा क्यों लगता है,कि तुम ही सब-कुछ हो मेरे...! ...

यूं तो गलत नही होते अंदाज चेहरे के, , , लेकिन लोग वैसे भी नही होते जैसे नजर आते हैं...! ..

गहरा दर्द छुपा होता है उनके दिल में अक्सर, .....जो लोग अमूमन हर बात में मुस्कुरा देते हैं.....! . . .

Saturday, 26 August 2017

यही जिंदगी है...

विनोद खन्ना द्वारा लिखी गई आत्मकथा की खूबसूरत पंक्तियां ....

*"जब मुझे पर्याप्त आत्मविश्वास मिला.... तो मंच खत्म हो चुका था"....*

*"जब मुझे हार का यकीन हो गया तब मैं जीता......"*

*"जब मुझे लोगों की जरूरत थी... उन्होंने मुझे छोड़ दिया...."*

*"जब रोते हुये मेरे आँसू सूख गए.... तो मुझे सहारे के लिए कंधा मिल गया...."*

*"जब मैंने नफरत की दुनिया में जीना सीख लिया... किसी ने मुझे दिल की गहराई से प्यार करना शुरु कर दिया...."*

*"जब सुबह का इंतजार करते करते मे सोने लगा... सूर्य निकल आया....."*

यही जिंदगी है...
कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप क्या योजना बना रहे हैं आप कभी भी नहीं जान पाते हैं कि जीवन आपके लिए क्या योजना बना रहा है...
इसलिए हमेशा खुश रहो!!
अक्सर जब हम आशा खो देते हैं और लगता है कि यह अंत है भगवान ऊपर से मुस्कराते हैं और कहते हैं कि
शांत रहो वत्स...यह सिर्फ एक मोड़ है अंत नहीं...!!!

जवाब

"जब" "कोई" "तुम्हारा" "दिल" "दुखाये" "मजाक" "उड़ाए'
"तो" "चुप" "रहना" "बेहतर" "है",
"क्योंकि" "जिन्हें" "हम" "जवाब" "नहीं" "देते"...
"उन्हें" *वक्त* "जवाब" "जरुर" "देता" "है"!!
       
"जीवन" "का" "सबसे" "बड़ा" "गुरु" *वक्त* "होता" "है",
"क्योंकि" "जो" *वक्त* "सिखाता" "है"...
"वो" "कोई" "नहीं" "सीखा" "सकता"!!
       
"अपनापन" "तो" "हर" "कोई" "दिखाता" "है",
"पर" "अपना" "कौन" "है"...
"ये" "तो" *वक्त* "बताता" "है"!!
      
"किसी" "की" "मजबूरियाँ" "पे" "ना" "हँसिये"...
"कोई" "मजबूरियाँ" "ख़रीद" "कर" "नहीं" "लाता",
"डरिये" *वक्त* "की" "मार" "से"...
"बूरा" *वक्त* "किसी" "को" "बताकर" "नहीं" "आता"!!
        
"सदा" "उनके" "कर्जदार" "रहिये", "जो" "आपके" "लिये"...
"कभी" "खुद" "का" *वक्त* "नहीं" "देखते"!!
         
*वक्त* "की" "यारी" "तो" "हर" "कोई" "करता" "है" "मेरे" "दोस्त",
"मजा" "तो" "तब" "है"...
"जब" *वक्त* "बदल" "जाए" "और" "यार" "ना" "बदले"!!
       
"एक-दुसरे" "के" "लिये"...
"जीने" "का" "नाम" "ही" "जिंदगी" "है", "इसलिये" *वक्त* "उन्हें" "दो"...
"जो" "तुम्हें" "चाहते" "हैं" "दिल" "से"!!
             
www.sherkavi.blogspot.in
        

मुकद्दर

चूम लिया करो
हर गम को मुकद्दर मानकर
यारों...
जिंदगी जैसी भी है
आखिर है तो अपनी ही...!!!

Saturday, 12 August 2017

खैरीयत

*खैरीयत पूछने का ज़माना गया साहब*

*आदमी ऑनलाइन दिख जाये*

*तो समझ लेना सब ठीक हैं ।*

रुठने का हक

*रुठने का हक़ तो अपने ही देते हैं...*
परायों के सामने तो मुस्कुराना ही पड़ता है..

हालात

रिश्तो को वक़्त और हालात बदल देते हैं,

अब तेरा ज़िक्र होने पर हम बात बदल देते हैं।

जख्म

कांटों से क्या गिला वो तो
          मजबूर हैं अपनी फितरत से

तकलीफ तो तब हुई जब
          फूल भी जख्म देने लगे

शमशीर

कुछ पन्ने इतिहास के मेरे मुल्क के
सीने में शमशीर हो गए
जो लड़े ,जो मरे ,वो शहीद हो गए,
जो डरे,जो झुके ,वो वज़ीर हो गए

बिछड़ना

ऐसा करो, बिछड़ना है तो, रूह से निकल जाओ,
रही बात दिल की, उसे हम देख लेंगे..

ख़्यालों में

*यूं ही ख़्यालों में चले आया करो*,

*ना पकड़े जाने का खतरा, ना जाने की जल्दी.....rc*

रफ़ू दिल

वो दिल हमारा, तार - तार करते है
हम भी रफ़ू दिल, बार-बार करते है

क़द्र

"वफाओं" से "मुकर" जाना हमे "आया" नहीं अब तक...!!
जिन्हें "चाहत" की "क़द्र" नहीं  हम उनसे "ज़िद" नहीं करते..

शेरो-नगमा

कहीं शेरो-नगमा बन के
कहीं आँसुओं में ढल के,
वो मुझे मिले तो लेकिन
कई सूरतें बदल के।

सम्भल गए

जब से देखा है कि,,,,,,,,,,,,,,,,वो बदल से गए है!!!!!!

तब से हम भी साहिब,,,,,,,,,,,,,,,,,कुछ सम्भल गए है.!!!!

Wednesday, 9 August 2017

चेहरों के लिये आईने कुर्बान

"चेहरों के लिये आईने कुर्बान किए हैं
इस शौक़ में अपने कई नुकसान किए हैं...

महफ़िल में मुझे गालियाँ देकर बहुत ख़ुश है
जिस शख़्स पे मैंने कई एहसान किए हैं...

ख़्वाबों से निपटना है मुझे रतजगे करके
कमबख़्त कई दिन से परेशान किए हैं...

रिश्तों के, मरासिम के, मुहब्बत के, वफा के
कुछ शहर तो ख़ुद हमने ही वीरान किए हैं...

Sunday, 6 August 2017

बिकी तेरी दोस्ती

```मैनें मेरे एक दोस्त को फोन किया और कहा कि यह मेरा नया नंबर है, सेव कर लेना।

उसने बहुत अच्छा जवाब दिया और मेरी आँखों से आँसू निकल आए ।

उसने कहा तेरी आवाज़ मैंने सेव कर रखी है। नंबर तुम चाहे कितने भी बदल लो, मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता। मैं तुझे तेरी आवाज़ से ही पहचान लूंगा।

ये सुन के मुझे हरिवंश राय बच्चनजी की बहुत ही सुन्दर कविता याद आ गई....

"अगर बिकी तेरी दोस्ती तो पहले खरीददार हम होंगे।
तुझे ख़बर ना होगी तेरी कीमत, पर तुझे पाकर सबसे अमीर हम होंगे॥

"दोस्त साथ हों तो रोने में भी शान है।
दोस्त ना हो तो महफिल भी शमशान है॥"

"सारा खेल दोस्ती का हे ए मेरे दोस्त,
                  वरना..
जनाजा और बारात एक ही समान है।"```

*सारे दोस्तों को समर्पित.!*

Saturday, 29 July 2017

लिबासों की तरह...

*"मैले हो जाते हैं रिश्ते भी*
*लिबासों की तरह...*

*कभी-कभी इनको भी*
*मोहब्बत से धोया कीजिए!"*

ज़िंदगी तुम हो अजनबी

ऐसा लगता है ज़िंदगी तुम हो
अजनबी जैसे अजनबी तुम हो

अब कोई आरज़ू नहीं बाकी
जुस्तजू मेरी आखरी तुम हो

मैं ज़मीन पर घना अंधेरा हूँ
आसमानों की चाँदनी तुम हो

दोस्तों से वफ़ा की उम्मीदें
किस ज़माने के आदमी तुम हो

बरसात की भीगी रातों में

बरसात की भीगी रातों में फिर रात सुहानी याद आई।
कुछ अपना जमाना याद आया कुछ उनकी जवानी याद आई।
हम भूल चुके थे जिसने हमको दुनिया में अकेला छोड़ दिया,
जब गौर किया तो इक सूरत जानी पहचानी याद आई।
सोचा था साथ चलेंगे पर वो बीच सफ़र में छोड़ गया,
फिर से जीने की आस जगी थी, सारी उम्मीदें तोड़ गया।
अपनी मजबूरी याद आई उसकी नादानी याद आई.
कुछ अपना जमाना याद आया कुछ उनकी जवानी याद आई।

शेर

एक शेर याद आ गया :

उसी को हक़ है जीने का इस ज़माने में,
जो इधर का दिखता रहे और उधर का हो जाए..

कागज़

भूल कर भी अपने दिल की बात
किसी से मत कहना।

यहाँ कागज़ भी ज़रा सी देर में
अखबार बन जाया करते हैं।

Monday, 24 July 2017

हुनर

*मुस्कुराती जेबों में अक्सर गीले रूमाल मिलते है,*

*हसरतें छुपाने के हुनर उनमें कमाल मिलते हैं*..

बादशाह

*ज़िन्दगी में ऊंचा उठने के लिए किसी*
*डिग्री की जरूरत नही....*
*अच्छे शब्द ही इंसान को*
*बादशाह बना देते है...!*

      

चार दोस्त

आप भले ही करोड़ों की जायदाद के मालिक हो पर जब तक
शाम को चार दोस्त आपका इंतजार न कर रहे हो आप गरीब हो।

एक दोस्त ने क्या खूब लिखा है कि

"मरने के बाद मुझे जल्दी ना जला देना
मेरे दोस्तों को देर से आने की आदत है" ....!

*दोस्ती* शब्द का अर्थ
बड़ा ही मस्त होता है .., ( दो+हस्ती )
जब दो हस्ती मिलती हैं ..,
                  तब दोस्ती होती है ... ...
*समुंदर* _ _ ना हो तो _ _*कश्ती* _ _ किस काम कीं ..._                                       
*मजाक*_ _ना हो , तो _ _ *मस्ती* _ _ किस काम की ... _                            
*दोस्तों* _ _ के लिए तो कुर्बान है , ये _ _ *जिंदगी...* _                          
अगर _ _ *दोस्त* _ _ ही ना हो , तो फिर ये _ _ *जिंदगी* _ _ किस काम कीं ...
चंद लाइने दोस्तों के नाम :-*

"क्यूँ मुश्किलों में साथ देते हैं "दोस्त"
                     "क्यूँ गम को बाँट लेते हैं "दोस्त"
"न रिश्ता खून का न रिवाज से बंधा है !
       "फिर भी ज़िन्दगी भर साथ देते हैं "दोस्त "
*.     *सब दोस्तो के लिये*

कायनात

*ज़रा सी उदासी हो*
*...और वो कायनात पलट दे,*
*ऐसा भी*
*इक दोस्त तो होना चाहिए.!!*
_

बादशाही

*बड़ी अजीब सी बादशाही है,*
*दोस्तों के प्यार में...*

*ना उन्होंने कभी कैद में रखा,*
*न हम कभी फरार हो पाए!!!*,,,,

अपनों के मेले

*"नहीं जीना मुझे अब उस नकली अपनों के मेले में,*
*खुश रहने की कोशिश कर लूंगा खुद ही अकेले में !!"*

दुआ

*दुआ हैं हमारी....* 

*जिन्दगी में हर रोज वो चहेरां मुस्कुराता मिले...*

*जिस चहेरे को आप रोज आइने में देखते हो...!!!*

बाँसुरी से सीख

*बाँसुरी से सीख ले सबक ए*
*ज़िन्दगी,*

*छेद हैं कितने सीने में फिर भी*
*गुनगुनाती है।*

डोर

*प्यार की डोर सजाये रखो,*
         *दिल को दिल से मिलाये रखो*
        *क्या लेकर जाना है साथ मे*
             *इस दुनिया से,*
               
*मीठे बोल और अच्छे व्यवहार से*
           *रिश्तों को बनाए रखो*

कशिश

शीशा तो टूट कर, अपनी कशिश बता देता हैं
दर्द तो उस पत्थर का हैं, जो टुटने के काबिल भी नही....

राह-ए-जिन्दगी

*समेट लीजिए ,,,चन्द उजालो को ,,अपने दामन में*

*स्याह है राह-ए-जिन्दगी,,,,, गिर गए तो चोट खायेंगे*✍⚜

Saturday, 22 July 2017

सीरत

*अब किसको क्या मिलेगा आइना देखकर,*

*कौन है जो नहीं जानता सूरत में छिपी सीरत अपनी!*

कम_अक्ल

औरतो को कम_अक्ल का ताना देने
                     #वाले !
इसकी चंद अदाओ पर ही अपनी
      अक्ल  खो बैठते है,,,,

वहम

*अहम ने एक वहम पाल रखा है,*
*सारा कारवां......*
*मैंने ही संभाल रखा है!!!*

कमी

*_वो लड़के भी अपनी जानू को_*

*_जान देने की बातें करते हैं_*

_‍_





*_जिनके शरीर में पहले से ही_*

*_खून की कमी हैं!_ *

चौबारा

*उनकी गली से गुजरा तो चौबारा नजर आया!*

*वाह !*

*वाह !*

*वाह !*
.
.
.
*उनकी गली से गुजरा तो चौबारा नजर आया*
.
*उसकी माँ ने देखा तो बोली*
.

*हाथ पाँव तोड दूँगी जो दुबारा यहाँ नजर आया!*

बदनाम

*शराब*  तो यूं ही बदनाम है..

नज़र घुमा कर देख लो..
इस दुनिया में..

*शक्कर* से मरने वालों की तादाद ज़्यादा हैं

मोहताज़

तारीफ़ के मोहताज़ नहीं  होते सच्चे लोग क्योकि,

कभी असली फूलों  पर इत्तर नही लगाया जाता.....

Sunday, 16 July 2017

Kya Khoob Likha Hai

*Kya Khoob Likha Hai*

समंदर सारे शराब होते तो सोचो कितना बवाल होता,
हक़ीक़त सारे ख़्वाब होते तो सोचो कितना बवाल होता..!!

किसी के दिल में क्या छुपा है ये बस ख़ुदा ही जानता है,
दिल अगर बेनक़ाब होते तो सोचो कितना बवाल होता..!!

थी ख़ामोशी हमारी फितरत में तभी तो बरसो निभ गयी लोगो से,
अगर मुँह में हमारे जवाब होते तो सोचो कितना बवाल होता..!!

हम तो अच्छे थे पर लोगो की नज़र में सदा बुरे ही रहे,
कहीं हम सच में ख़राब होते तो सोचो कितना बवाल होता।।

Wednesday, 12 July 2017

रहनुमाईया

चलो खुद ही करें रहनुमाईया अपनी

हर किसी को पार उतरने की जुस्तजू अपनी
न बादबा न समंदर न कश्तियां अपनी.....

कागज की दौलत

  

         *वो कागज की दौलत ही क्या*
           *जो पानी से गल जाये और*
             *आग से जल जाये*

         *दौलत तो दुआओ की होती हैं*
            *न पानी से गलती हैं*
              *न आग से जलती हैं...*                                                                                                       
         *आनंद लूट ले बन्दे,*
           *प्रभु की बन्दगी का।*
             *ना जाने कब छूट जाये,*
               *साथ जिन्दगी का।।*
    

इल्मो अदब

*इल्मो अदब के सारे खजाने गुजर गए*
*क्या खूब थे वो लोग पुराने गुजर गए।*

*बाकी है जमीं पे फकत आदमी की भीड़*
*इन्सां को मरे हुए तो ज़माने गुजर गए...*

Friday, 9 June 2017

ग़ज़ल: बशीर बद

*ग़ज़ल: बशीर बद्र*

खुद को इतना भी मत बचाया कर,
बारिशें हो तो *भीग जाया कर*।

चाँद लाकर कोई नहीं देगा,
अपने चेहरे से *जगमगाया कर*।

दर्द हीरा है, दर्द मोती है,
दर्द आँखों से *मत बहाया कर*।

काम ले कुछ हसीन होंठो से,
बातों-बातों में *मुस्कुराया कर*।

धूप मायूस लौट जाती है,
छत पे *किसी बहाने आया कर*।

कौन कहता है दिल मिलाने को,
कम-से-कम *हाथ तो मिलाया कर*।

Wednesday, 7 June 2017

नाज

*निगाहें नाज करती है ..*
               *फलक के आशियाने से.. !*

*"खुदा भी रूठ जाता है "*
                *किसी का दिल दुखाने से ...।*

Wednesday, 24 May 2017

इश्क़ मासूम है

इश्क़ मासूम है गीता के उजालों की तरह,

हुस्न पाकीज़ा है मीरा के ख्यालों की तरह।

कृष्ण होते तो ज़रूर इनको ज़ुबां दे देते,

मेरे आंसू हैं सुदामा के सवालों की तरह।।

वो शहर भी तेरा

*‍वो मोहब्बत भी तेरी थी वो_*
*_नफरत भी तेरी थी_*

*_वो अपनापन और ठुकराने_*
*_की अदा भी तेरी थी_*

*_हम अपनी वफ़ा का इंसाफ_*
*_किससे मांगते_*

*_वो शहर भी तेरा था और_*
*_अदालत भी तेरी थी_*

शहर में आदमी

*खुशियाँ कम और अरमान बहुत हैं ।*
*जिसे भी देखो परेशान बहुत है ।।*

*करीब से देखा तो निकला रेत का घर ।*
*मगर दूर से इसकी शान बहुत है ।।*

*कहते हैं सच का कोई मुकाबला नहीं ।*
*मगर आज झूठ की पहचान बहुत है ।।*

*मुश्किल से मिलता है शहर में आदमी ।*
*यूं तो कहने को इन्सान बहुत हैं ।।*
       
       

लिबास-ए-ज़िन्दगी

*लिबास-ए-ज़िन्दगी को थोड़ा रफ़ू कर दे ए खुदा,*

*कोई राज़ निकल न जाए कोई ऐब खुल न जाए।*

Friday, 5 May 2017

ऐतबार


*छोड़ दिए हम ने ऐतबार*
*किस्मत की लकीरों पे.*!
       *जो दिल में बस जाएँ वो*
   *लकीरों में नहीं मिला करते*
     ______________________
*जिंदगी में अपनेपन और*
*एहसासों का बड़ा काम*
*होता है...*
*दूसरों के गमो को जो*
*अपनाता है वही इंसान*
*होता है...*
*न जाने कब कोई अँधेरे में*
*चिराग बनकर राह दिखा दे..*

*क्योंकि मुसीबत में जो साथ*
*होता है वही भगवान होता है*

             

Wednesday, 26 April 2017

बेईमान

*कमियाँ तो मुझमें भी बहुत है,*
                      *पर मैं बेईमान नहीं।*

*मैं सबको अपना मानता हूँ,*
     *सोचता हूँ फायदा या नुकसान नहीं।*

*एक शौक है शान से जीने का,*
           *कोई और मुझमें गुमान नहीं।*

*छोड़ दूँ बुरे वक़्त में अपनों का साथ,*
                  *वैसा तो मैं इंसान नहीं।*

Friday, 21 April 2017

ताल्लुक़ात

I*यूँही छोटी सी बात पर*
*ताल्लुक़ात बिगड़ जाते है*

*मुद्दा होता है "सही क्या है"*
*और लोग "सही कौन" पर उलझ जाते है*

Tuesday, 18 April 2017

दुपहरी

*बचपन में, भरी दुपहरी में नाप आते थे पूरा मुहल्ला,*
*जब से डिग्रियाँ समझ में आई, पाँव जलने लगे।।।।।*

Saturday, 11 March 2017

मुमकिन नहीं..!

तेरी मर्जी से ढल जाऊं हर बार ये मुमकिन नहीं..!
..........मेरा भी वजूद है,मैं कोई आइना नहीं..!!

भरोसा

"प्यार"... गहरा हो या न हो...
पर "भरोसा".... "बहुत गहरा होना चाहिये"... ❤

दुआ

*दुआ का रंग नहीं होता*

*मगर ये रंग ले आती है*

हौसला

*कैसे कह दूँ कि ''थक''गया  हूँ मैं*

*अपने''परिवार''का हौसला हूँ मैं !!*

लफ्जो की दहलीज

*लफ्जो की दहलीज पर ,घायल ज़ुबान है......!!*

                                                                              *कोई तन्हाई से तो कोई, महफ़िल से परेशान है.....!!*

एहसास

*फासलों का एहसास तो तब हुआ साहब....*

*जब मैंने कहा "मैं ठीक हूँ", और उसने मान लिया....*

गलिया

*आखिर क्यों रिश्तो की गलिया इतनी तंग हैं...*

*शुरुवात कौन करे, यहीं सोच कर बात बंद है...*

सुबह-शाम

*सुबह-शाम एक-एक बार दिख जाया करो*

*डॉक्टर ने कहा है दवा वक्त  पर लेते रहना.*

लफ़्ज़ों की जरुरत

ज़िन्दगी में एक ऐसे  इंसान का होना बहुत  ज़रूरी है*

जिसको  दिल का हाल बताने के लिए  लफ़्ज़ों की जरुरत न पड़े*

Sunday, 5 March 2017

अधूरी

लोग कहते हैं किसी एक के चले जाने से जिन्दगी अधूरी नहीं होती,लेकिन लाखों के मिल जाने से उस एक की कमी पूरी नहीं होती है……

क़दर

क़दर करलो उनकी जो तुमसे बिना मतलब की चाहत करते हैं.. दुनिया में ख्याल रखने वाले कम और तकलीफ देने वाले ज़्यादा होते है..!

Saturday, 4 March 2017

मर्ज

मेरी बात मानो तो छोड़ दो ये मोहब्बत करना,
हर हकीम ने हाथ जोड़ लिये है इस मर्ज से !!

फर्क

कुछ बातों के मतलब हैं, और कुछ मतलब की बातें,
जब से फर्क समझा, जिंदगी आसान हो गई।

सितम

*हिसाब-किताब हम से न पूछ अब, ऐ-ज़िन्दगी*,

*तूने सितम नही गिने, तो हम ने भी ज़ख्म नही गिने!*

Friday, 3 March 2017

Khuda ki mohabbat

Khuda ki mohabbat ko fana kaun karega?
Sabhi bande nek ho to gunaah kaun karega?
Ae khuda mere dosto ko salamat rakhna
Warna meri salamati ki dua kaun karega
Aur rakhna mere dushmano ko bhi mehfooz
Warna meri tere paas aane ki duaa kaun karega....!!!

Thursday, 2 March 2017

साँसों के साए में

तुम्हारी साँसों के साए में पलती हैं साँसे मेरी.. ...
जब भी तुम याद आते हो हम.. ...जीने से लगते हैं....

तुम नहीं होते हो,

तुम नहीं होते हो,
बहुत खलता है....

इश्क़ कितना है तुमसे..
  पता चलता है......!!

जहर

वो जहर देकर मारते तो दुनिया की नजरो मे आ जाते,,,,
उनके मारने का अंदाज तो देखो..........
मोहब्बत करके छोड दिया

बे सुकुनी

मोहब्बत नाम है बे सुकुनी का ...

किसी ने पाया हो सुकून तो मिसाल दें....??

दुरुस्त रखिएगा

दुरुस्त रखिएगा हिसाब किताब जरा संबंधों का भी..
जिंदगी का क्या पता कब मार्च आ जाये....

वही पुरानी ख्वाहिश

*वही पुरानी ख्वाहिश ..❤फिर वही पुरानी जिद...❤*

*चाहिए इक छोटा सा पल और साथ तुम ...सिर्फ तुम ..!!..❤...*

ऐ मेरे हमसफर 

ऐ मेरे हमसफर  इतना तो मगरूर मत हो!
अपनी अदाओं पे इतना मजबूर मत हो!
तरस जाए तूं कल हमारे दीदारों के लिए,
इसलिए ही कहता हूं कि दिलों से दूर मत हो!!

तूं तो  बड़ा व्यापारी निकला!

तूं तो  बड़ा व्यापारी निकला!
करके बड़ी तैयारी निकला!!
चेहरा  तेरा  बुद्ध  बुत सा!
अंदर बड़ा शिकारी निकला!!
माला छापा तिलक सलोने!
की तफ्तीश जुआरी निकला!!
माया मोह सभी है झूठै!
मठ पीछे घरबारी निकला!!
मीठे भजन सुना सतसंगी!
लेके कन्या कुमारी निकला!!
रमता रमता ऐसा रमिया,
खेल सभी पर भारी निकला!!
गि.रतनू

तासीर ही ऐसी

तासीर ही ऐसी कि  डरे नहीं शमसीर से!
भिड़ पड़े निहत्थे हम जंगल में कंठीर से।
संकटों  को सहा देश हित में हमेशा यार,
  आन लिए भटके दर दर फक्र से फकीर से।।

Wednesday, 1 March 2017

एक शेर..

एक शेर..

तीर से कटे तो हम कटे कभी शमसीर से
शिकवा न किया फिर भी कभी तकदीर से
मिजा़ज़ जिन्दगी का अब मत पूछिये हमसे
वक्त की दीवार पर लटके हुए हैं तस्वीर से

Sunday, 26 February 2017

माँ के साथ

मायका सिर्फ़ और सिर्फ़ माँ के साथ होता है
माँ थीं तो मोहल्ले भर को मेरे आने का पता होता था
माँ थीं तो बने होते थे राजमाह चावल पुदीने की चटनी
माँ थीं तो बिलकुल बुरा नहीं लगता था
बिस्तर में लेटे रहना , सुस्ताना , टी वी देखना , चाय पीना
माँ थीं तो अपने साथ साथ मेरे लिए भी डाल लेती थीं आम का अचार साल भर के लिए
ले लेती साल भर के लिए देसी चावल
जब छोटे छोटे बच्चों के साथ जाती
तो कहती
भूल जाओ सब , आनंद करो , मस्ती करो
सब मैं संभाल लूँगी
मेरे घर आती तो सब बनेरों पे पड़े होते धुले हुए चादर खेस लिहाफ़
सारे मोहल्ले को पता होता माँ आईं हैं
निहायत बुरे वक्तों में सीने में मेरा मुँह छुपा लेती
और कहती
मैं हूँ न
बुरा सपना आता तो सुबह बस पकड़ आती
देखती मैं ठीक हूँ तो शाम को लौट जातीं
हाँ , काफ़ी छुपाती थी मैं अपने दर्द उन से
पर माँ की आँखें तो तस्वीर में भी भाँप जाती है दर्द
गईं तो मेरा मायका भी साथ ले गईं
एक बार गई मैं तो बाहर वाले कमरे में बैठ घंटों रोती रही
किसी को ख़बर तक न पड़ी मेरे आने की
फिर सालों साल उस शहर में क़दम पड़े ही नहीं
वो रास्ते यूँ जैसे नाग फ़न फैलाए बैठे हों
सोचा था , अब धुँधला पड़ने लगा है सब
अब जाने लगी हूँ उस शहर
ख़रीदारी भी कर लेती हूँ वहाँ
माँ थीं तो ज़रूरी होता था शॉपिंग पे जाना
नहीं तो पूछतीं
कोई बात है
उदास हो क्या
पैसे मुझ से ले लो
कुछ बचा कर रखे हैं तुम्हारे बाबू जी से परे
नहीं , पर कुछ भी धुँधला नहीं पड़ा है
पालती मार कर बैठा था कहीं ज़िंदगी की व्यस्तता में
कहीं एक शब्द पढ़ा
तो ज़ार ज़ार फूट पड़ा सब

कोई भी दर्द क्या मर पाता है कभी पूरी तरह
यूँ तो सब ठीक है
पर काश माँ को कोई दर्द न देती
काश उनका दर्द बाँट लेती
काश उनके लिए ढेरों सूट गहने ख़रीद पाती
काश उन्हें घुमाने ले जा पाती
काश उन्होंने कभी जो देखे थे ख़्वाब पूरे कर पाती

पर यह काश भी तो ख़ुद माँ बन कर ही समझ आता है
इतनी देर से क्यों समझ आता है ?

Wednesday, 22 February 2017

खुशियाँ कम और अरमान बहुत हैं

*खुशियाँ कम और*
         *अरमान बहुत हैं ।*
*जिसे भी देखो,*
         *परेशान बहुत है ।।*
*करीब से देखा तो,*
      *निकला रेत का घर ।*
*मगर दूर से इसकी,*
               *शान बहुत है ।।*
*कहते हैं सच का,*
      *कोई मुकाबला नहीं ।*
*मगर आज झूठ की,*
           *पहचान बहुत है ।।*
*मुश्किल से मिलता है,*
             *शहर में आदमी ।*
*यूं तो कहने को,*
             *इन्सान बहुत हैं ।।*

Tuesday, 21 February 2017

ज़िन्दगी भर की पहचान

☘☘☘☘
              मिलो किसी से ऐसे कि
                 ज़िन्दगी भर की
                पहचान बन जाये,
          पड़े कदम जमीं पर ऐसे कि
                 लोगों के दिल पर
                 निशान बन जाये..
              जीने को तो ज़िन्दगी
            यहां हर कोई जी लेता है,
                      लेकिन.....
             जीयो ज़िन्दगी ऐसे कि
            औरों के लब की मुस्कान
                    बन जाये ...                                                   
     
     

Thursday, 16 February 2017

यादों के रिश्ते

*कितने अनमोल होते है, ये यादों के रिश्ते भी....*

*कोई याद ना भी करे चाहत फिर भी रहती है..*

रुक जाये वक़्त

"जिंदगी में तुमसे एक लम्बी मुलाकात हो,
मिलकर साथ बैठे हम और लम्बी बात हो,
करने को सिर्फ तेरी - मेरी बात हो....
रुक जाये वक़्त फिर दिन हो न रात हो. "

ज़ख्म का इलाज..

खूब करता है, वो मेरे ज़ख्म का

इलाज..

कुरेद कर देख लेता है रोज,और

कहता है वक्त लगेगा..

गुफ्तगु

उनकी तासीर बेहद कड़वी होती है,,,
जिनकी गुफ्तगु शक्कर जैसी होती है,,,

जीवन परीक्षा लेती है।

जीवन परीक्षा लेती है

और चेक रिश्तेदार करते हैं

नफ़रत

इश्क का हफ़्ता गुज़र गया.

नफ़रत का पूरा साल बाकी है..

Friday, 10 February 2017

तेरे रुख़सार पर !!

काश ! आ जाती तुम वोट डालने के बहाने,
तेरी आँखों में हम प्यार पढ़ लेते,
पहचान करने के बहाने !
-मतदान अधिकारी प्रथम

.
.
.
काश ! आ जाती तुम वोट डालने के बहाने,,,
हाथ पर दिल का हाल लिख देते,
स्याही लगाने के बहाने !!
-मतदान अधिकारी द्वितीय

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.
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काश तुम आ जाती वोट डालने के बहाने,
तेरे हाथों को थाम लेते, गुलाबी पर्ची थामने के बहाने !
-मतदान अधिकारी तृतीय

.
.
.
ऐ काश ! कोई तो अभिकर्ता चुनौती दे-दे तेरी पहचान पर,,
हम जी भर के मिलान करते तेरी आई-डी से तेरे रुख़सार पर !!
-पीठासीन अधिकारी

*मतदान पूर्ण*

Thursday, 2 February 2017

अख़बार

*एक अख़बार क्या लिया सफ़र में....*

*सारे मुसाफिरों से रिश्ता निकल आया !!*

Friday, 27 January 2017

धीरे धीरे उम्र कट जाती हैं!

"धीरे धीरे उम्र कट जाती हैं!
"जीवन यादों की पुस्तक बन जाती है!
"कभी किसी की याद बहुत तड़पाती है!
"और कभी यादों के सहारे जिंदगी
कट जाती है!
"किनारो पे सागर के खजाने नहीं आते!
"फिर जीवन में दोस्त पुराने नहीं आते!
"जी लो इन पलों को हंस के दोस्त!
"फिर लौट के दोस्ती के जमाने नहीं
आते!!!

छोड़ देती है ये जिंदगी

* कभी हँसते हुए छोड़ देती है ये जिंदगी *
* कभी रोते हुए छोड़ देती है ये जिंदगी।*

* न पूर्ण विराम सुख में,*
        * न पूर्ण विराम दुःख में,*
* बस जहाँ देखो वहाँ अल्पविराम छोड़ देती है ये जिंदगी।*

* प्यार की डोर सजाये रखो,*
    * दिल को दिल से मिलाये रखो,*
* क्या लेकर जाना है साथ मे इस दुनिया से,*
* मीठे बोल और अच्छे व्यवहार से *
      * रिश्तों को बनाए रखो*